शनिवार, 26 मई 2012



दंड दिधि का विधान
कभी मर्यादा महान
कभी कर्म ही प्राण
सहन शक्ति प्रमाण
आत्म व्यथा पुनर्निर्माण
संस्कार आहूत  आह्वान 
निज तन मन धन बलिदान
संस्कारों का सत्  प्रधान
....वन्दना ...

शुक्रवार, 18 मई 2012




 
 
 
तेरे ख़ुलूस में जियूं और मर जाऊं
हर हाल बहरहाल तुझे ही पाऊं

विसाले ख्वाब की जुस्तजू में
हर शब् ही आँखों के ग़म उठाऊँ

कभी यूं भी हो के खयाले आज़ादी...
कैद-ऐ-हयात से मिलेगी भूल जाऊं..
...वन्दना....

मंगलवार, 1 मई 2012




क्षण-क्षण...
हंस -हंस...
तिल -तिल...
जल कर...
जीवन वैभव.....ज्वाला...

...वन्दना...