शनिवार, 29 सितंबर 2012

जला कर मुहब्बत सजा कर गया





नजर से नजर को बचा कर गया 

वो जाने  का हुनर दिखा कर गया

सब्र-ए-मुसलसल की हद कर गया 
अहले जर्फ़ ए इश्क अदा कर गया

  मेरी पलकों पे आंसू सजा कर गया   

मुहब्बत के तोहफे अता कर गया

जब भी मिला मुस्कुरा कर मिला 
जब गया तो मेरी जान लेकर गया

मंदिर की जलती लौ सा वो दिया
जला कर मुहब्बत सजा कर गया

...वन्दना...  
 

गुरुवार, 20 सितंबर 2012





बस साथ मेरे साया
मेरा साथ देने आया.

नाउम्मीदी-ए-विसाल
बला का मलाल लाया

भीगी हुई इस शब् में
सैलाब-ए-अश्क आया

उसकी चाहत में मैंने
रंज-ओ-गम बेहिसाब पाया

रास्ते के हर पत्थर को
मैंने अपना खुदा बनाया

जुनूं-ए-वफ़ा,तर्क-ए-मुहब्बत
हमने भी ये धोखा खाया

आंखे नम हो गयी ये तब-तब
करार दिल ने जब-जब पाया

उसका भी अब क्या कोई होगा
अपनों ने जिसे किया पराया

...वन्दना...