शुक्रवार, 15 मार्च 2013

अहा !!! ज़िन्दगी...





मानो -
अवसाद में घुलती जाती ख़ुशी....
और पिघलती जाती जैसे मोमबत्ती ...
आहा !!! ....ज़िन्दगी !!!



हर हाल बस जलती घुलती जाती...
कभी थरथराती कभी भरभराती 
आहा !!! ...ज़िन्दगी !!!



ख्वाब और ख्वाहिशों के दरमियाँ
अधूरी मौत का जश्न मनाती 
आहा !!! ... ज़िन्दगी !!!



गर्जनाओं और वर्जनाओं में
विवश हो बधिर और मूक होती 
आहा !!! ... ज़िन्दगी !!!



समंदर के किनारे कुछ टूटते तारे 
और पानी में भीगे पंख फड़फडाती 
आहा !!! ... ज़िन्दगी !!!
...वन्दना ...