"शब्द संवेदन" संवेदन शील मन से निकलने वाले शब्द जो स्वरुप ले लेते हैं कविता का, ग़ज़ल का,नज़्म का... लेखनी के सहारे,अभिव्यक्ति का आधार हमारे शब्द संवेदन इंसानी जीवन की अहम् जरूरत हैं. और अभिव्यक्ति वाकई जीवन को हल्का,सहज और सरल बना देती है.बेशक महज़ आत्मसंतुष्टि के लिए नहीं बल्कि जिंदगी के अनुभव भी ,चाहे खट्टे हो या फिर मीठे,संवेदनाओं को शब्दों में पिरोने और अभिव्यक्त करने के साथ ही हमारे सोच विचारों के झंझावातों में फंसे दिल और दिमाग को शांत कर देते हैं. "शब्द संवेदन" पर आप सभी का स्वागत है.
शनिवार, 29 सितंबर 2012
गुरुवार, 20 सितंबर 2012
बस साथ मेरे साया
मेरा साथ देने आया.
नाउम्मीदी-ए-विसाल
बला का मलाल लाया
भीगी हुई इस शब् में
सैलाब-ए-अश्क आया
उसकी चाहत में मैंने
रंज-ओ-गम बेहिसाब पाया
रास्ते के हर पत्थर को
मैंने अपना खुदा बनाया
जुनूं-ए-वफ़ा,तर्क-ए-मुहब्बत
हमने भी ये धोखा खाया
आंखे नम हो गयी ये तब-तब
करार दिल ने जब-जब पाया
उसका भी अब क्या कोई होगा
अपनों ने जिसे किया पराया
...वन्दना...
मेरा साथ देने आया.
नाउम्मीदी-ए-विसाल
बला का मलाल लाया
भीगी हुई इस शब् में
सैलाब-ए-अश्क आया
उसकी चाहत में मैंने
रंज-ओ-गम बेहिसाब पाया
रास्ते के हर पत्थर को
मैंने अपना खुदा बनाया
जुनूं-ए-वफ़ा,तर्क-ए-मुहब्बत
हमने भी ये धोखा खाया
आंखे नम हो गयी ये तब-तब
करार दिल ने जब-जब पाया
उसका भी अब क्या कोई होगा
अपनों ने जिसे किया पराया
...वन्दना...
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