साक्षात उज्जीवन !!!
प्राण प्रकृति चलित...
कथित गत्वर "लौ"
सहसा पुनः प्रज्वलित...
तृष्णा प्रजित
उपजे रोष
एकीभूत
मानवीय ओष
शून्य न हो चैतन्य
इच्छा शक्ति ,
प्राण शक्ति
धन्य धन्य !!!
अस्तु...
साक्षात उज्जीवन !!!
"शब्द संवेदन" संवेदन शील मन से निकलने वाले शब्द जो स्वरुप ले लेते हैं कविता का, ग़ज़ल का,नज़्म का... लेखनी के सहारे,अभिव्यक्ति का आधार हमारे शब्द संवेदन इंसानी जीवन की अहम् जरूरत हैं. और अभिव्यक्ति वाकई जीवन को हल्का,सहज और सरल बना देती है.बेशक महज़ आत्मसंतुष्टि के लिए नहीं बल्कि जिंदगी के अनुभव भी ,चाहे खट्टे हो या फिर मीठे,संवेदनाओं को शब्दों में पिरोने और अभिव्यक्त करने के साथ ही हमारे सोच विचारों के झंझावातों में फंसे दिल और दिमाग को शांत कर देते हैं. "शब्द संवेदन" पर आप सभी का स्वागत है.
साक्षात उज्जीवन !!!
प्राण प्रकृति चलित...
कथित गत्वर "लौ"
सहसा पुनः प्रज्वलित...
तृष्णा प्रजित
उपजे रोष
एकीभूत
मानवीय ओष
शून्य न हो चैतन्य
इच्छा शक्ति ,
प्राण शक्ति
धन्य धन्य !!!
अस्तु...
साक्षात उज्जीवन !!!