ताल्लुकातों से शादमानी है
बदनसीबी जो बदगुमानी है
कीमत काफिर की हमने जानी है
उसूल उसका बेईमानी है
पैमांशिकन इस ज़माने में
दस्तूर ऐ उम्मीद भी बेमानी है
फ़र्ज़ निभाए न आशनाई के
सो हकों पे भी पशेमानी है
वक्ते ऐ रुखसत किये वादे की
अब तो शिद्दत ही आजमानी है
शब्दार्थ
शादमनी = खुशियाँ
काफिर = ईश्वर के वर्चस्व को नकारने वाला
पैमांशिकन = वादे से मुकरना
आशनाई = प्रेम
aajkal to har vyakti ke usool badal gaye.... beimaani behtar ho gayee is duniya me .. urdu shabo ka vyavahar kaise karen, koi tumhe padh kar jaan sakta hai :)
जवाब देंहटाएंbehtareen !!
क्या खुबसूरत लफ्जो मे बयान की हैं दास्तान आनंदित हो उठा रोम रोम
जवाब देंहटाएंप्रभु से प्राथर्ना करते हैं आप ऐसे ही लिखते रहे और कामयाबी आपके कदम चूमे
waah waah aur waah!
जवाब देंहटाएंkya kamaal hai lafzon ka .... duniyadari se do chaar kara diya didi :)
bahut khoob
जवाब देंहटाएंhttp://www.facebook.com/HINDIBLOGGERSPAGE
आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंsunder....
जवाब देंहटाएंअति सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतर
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतर
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