धिक्कार और उलहाना...
क्यूँ चुपचाप सुने माता ?
राम-कृष्ण गौतम का भारत
ज्योतित ज्ञान प्रकाश अविरत..
चक्र सुदर्शन की रही छाया
गीता ने यहीं अमृत बरसाया...
फिर जरासंध छल बल दिखलाता...
धिक्कार और उलहाना...
क्यूँ चुपचाप सुने माता ?
क्रान्ति स्वर ऐसे नहीं हों...
अवनति जिनमें छिपी हो...
व्यर्थ सभी क्या पुण्य पुरातन ?
क्या ऐसे आएगा परिवर्तन ?
गहन तमस में सुप्त न हो मानवता...
धिक्कार और उलहाना
क्यूँ चुपचाप सुने माता ?
क्यूँ चुपचाप सुने माता ?
#वन्दना...
बहुत ही सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना
जवाब देंहटाएं!! गहन चिंतन !!
जवाब देंहटाएं!! गहन चिंतन !!
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