"शब्द संवेदन" संवेदन शील मन से निकलने वाले शब्द जो स्वरुप ले लेते हैं कविता का, ग़ज़ल का,नज़्म का... लेखनी के सहारे,अभिव्यक्ति का आधार हमारे शब्द संवेदन इंसानी जीवन की अहम् जरूरत हैं. और अभिव्यक्ति वाकई जीवन को हल्का,सहज और सरल बना देती है.बेशक महज़ आत्मसंतुष्टि के लिए नहीं बल्कि जिंदगी के अनुभव भी ,चाहे खट्टे हो या फिर मीठे,संवेदनाओं को शब्दों में पिरोने और अभिव्यक्त करने के साथ ही हमारे सोच विचारों के झंझावातों में फंसे दिल और दिमाग को शांत कर देते हैं. "शब्द संवेदन" पर आप सभी का स्वागत है.
उर्दू के शब्दो की ज्यादा जानकारी नहीं...फिर भी
जवाब देंहटाएंइतने प्यारे शब्दो का शब्द संयोजन
जो बढ्ने लगी तश्नगी
पाया लुत्फ़े चश्मे आब .......:)
हर पंक्तियों से भाव निकाल कर आ रहे ....
आपकी यह रचना कल शनिवार (25 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा आपने | पढ़कर आनंद आया | आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ है | जल्द ही और रचनाएँ पढने की कोशिश करूँगा | ब्लॉग का अनुसरण कर रहा हूँ आप भी आमंत्रित हैं मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने हेतु यदि आपको मेरी रचनाएँ पसंद आयें तो | आभार
जवाब देंहटाएंखोने में पाने का हुनर हो ...दर्द में 'बहाने' का हुनर हो ... तो जिंदगी कितनी आसन हो
जवाब देंहटाएंमुझे ज्यादा समझ नहीं ...पर पढ़ के तर हुई नम हुई ...भाव भाषा की इस सम्र्रिद्धि को ढेर सा प्यार और उससे ज्यादा आशीष ....बहती रहो लिखती रहो…
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहन कहूं या बेटी कुछ समझ मैं नहीं आया पर इतना अवश्य समझा हूँ की आपकी भोगी हुई पीड़ा ही कविता या ग़जल के रूप में प्रस्फुटित होती है क्योंकि भोगे हुए यथार्थ का वर्णन बहुत सुंदर होता है तभी तो कालिदास के विरह काव्य बहुत सुन्दर बन पड़े हैं |
जवाब देंहटाएंछोटी बहर में ग़ज़ल लिखना शायरी का कमाले फ़न है,बहुत अच्छे।
जवाब देंहटाएंछोटी बहर में ग़ज़ल लिखना शायरी का कमाले फ़न है,बहुत अच्छे।
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