गुरुवार, 13 जून 2013

ताल्लुकातों से शादमानी है...







ताल्लुकातों से शादमानी है
बदनसीबी जो बदगुमानी है

कीमत काफिर की हमने जानी है 
उसूल उसका बेईमानी है

पैमांशिकन   इस ज़माने में
दस्तूर ऐ उम्मीद भी बेमानी है

फ़र्ज़ निभाए न आशनाई के
सो हकों पे भी पशेमानी है

वक्ते ऐ रुखसत किये वादे की
अब तो शिद्दत ही आजमानी है


शब्दार्थ 
शादमनी = खुशियाँ 
काफिर = ईश्वर के वर्चस्व को नकारने वाला 
पैमांशिकन = वादे से मुकरना 
आशनाई = प्रेम 

10 टिप्‍पणियां:

  1. aajkal to har vyakti ke usool badal gaye.... beimaani behtar ho gayee is duniya me .. urdu shabo ka vyavahar kaise karen, koi tumhe padh kar jaan sakta hai :)
    behtareen !!

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  2. क्या खुबसूरत लफ्जो मे बयान की हैं दास्तान आनंदित हो उठा रोम रोम
    प्रभु से प्राथर्ना करते हैं आप ऐसे ही लिखते रहे और कामयाबी आपके कदम चूमे

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  3. waah waah aur waah!
    kya kamaal hai lafzon ka .... duniyadari se do chaar kara diya didi :)

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  4. आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
    धन्यवाद

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  5. अति सुंदर प्रस्तुति !

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आपकी प्रतिक्रिया निश्चित रूप से प्रेरणा प्रसाद :)