बस साथ मेरे साया
मेरा साथ देने आया.
नाउम्मीदी-ए-विसाल
बला का मलाल लाया
भीगी हुई इस शब् में
सैलाब-ए-अश्क आया
उसकी चाहत में मैंने
रंज-ओ-गम बेहिसाब पाया
रास्ते के हर पत्थर को
मैंने अपना खुदा बनाया
जुनूं-ए-वफ़ा,तर्क-ए-मुहब्बत
हमने भी ये धोखा खाया
आंखे नम हो गयी ये तब-तब
करार दिल ने जब-जब पाया
उसका भी अब क्या कोई होगा
अपनों ने जिसे किया पराया
...वन्दना...
मेरा साथ देने आया.
नाउम्मीदी-ए-विसाल
बला का मलाल लाया
भीगी हुई इस शब् में
सैलाब-ए-अश्क आया
उसकी चाहत में मैंने
रंज-ओ-गम बेहिसाब पाया
रास्ते के हर पत्थर को
मैंने अपना खुदा बनाया
जुनूं-ए-वफ़ा,तर्क-ए-मुहब्बत
हमने भी ये धोखा खाया
आंखे नम हो गयी ये तब-तब
करार दिल ने जब-जब पाया
उसका भी अब क्या कोई होगा
अपनों ने जिसे किया पराया
...वन्दना...
जवाब देंहटाएंरास्ते के हर पत्थर को
मैंने अपना खुदा बनाया
जुनूं-ए-वफ़ा,तर्क-ए-मुहब्बत
हमने भी ये धोखा खाया
आंखे नम हो गयी ये तब-तब
करार दिल ने जब-जब पाया
उसका भी अब क्या कोई होगा
अपनों ने जिसे किया
ye sher mujhe behad pasand aaye... :)
छोटी बहर पर बहुत प्यारी ग़ज़ल रची है आपने बहुत पसंद आई बधाई आपको
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब वंदना ..
जवाब देंहटाएं:)...
जवाब देंहटाएंmujhe to Vandana ki ek sabse badi khubhi ye dikhti hai...
ye shabdo ko bikherti nahi....jitna kam se kam shabd use kar ske ...wo ye chahti hai:)
mera saya bhi mere saath:))
.
जवाब देंहटाएंरास्ते के हर पत्थर को
मैंने अपना ख़ुदा बनाया
जुनूं-ए-वफ़ा , तर्क-ए-मुहब्बत
हमने भी ये धोखा खाया
मन की कोमल भावनाओं के कारण कितनों को इन्हीं अनुभवों से गुज़रना पड़ा है …
:(
ग़ज़ल तो नहीं कहूंगा… बहरहाल अच्छी भावाभिव्यक्ति के लिए बधाई !
आपके ब्लॉग पर कई रचनाएं अभी देखी हैं … आपके प्रभावी काव्य-लेखन के लिए साधुवाद !
शुभकामनाओं सहित…