मैं अपना पता जानती नहीं...
धरा से विमुख...
आसमां में भी जगह नहीं...
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तुम किसी रंग में रंग गए...
खुशबु बन घुल मिल गए...
मैं...
सुखन में भी ढली नहीं...
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एक दिन तुम भी बदलोगे...
वक़्त किसी पर मेहरबां नहीं...
तुम्हारे ही कदम डगमगाए हैं...
सप्तपदी मैंने छली नहीं...
...वन्दना...
behad marmik...
जवाब देंहटाएंdard ki sahaj aur dil ko chhoolenewali abhivyakti...
जवाब देंहटाएं-ritu
राह पकड़ तू एक चला चल पा जयिएगा.......
जवाब देंहटाएंSaajishen aisi hui hein kho gayeen pehchan sub,
जवाब देंहटाएंKhud pata mein poochta hoon aaj apne Gaon ka..
--Dr Ashok Maitreya