स्वप्न होंगे सत्य सारे.
ह्रदय में यह ध्येय निष्ठा...
जलती ज्वाला का कण-कण,
दे मन को नव प्राण प्रतिष्ठा...
....वन्दना....
"शब्द संवेदन" संवेदन शील मन से निकलने वाले शब्द जो स्वरुप ले लेते हैं कविता का, ग़ज़ल का,नज़्म का... लेखनी के सहारे,अभिव्यक्ति का आधार हमारे शब्द संवेदन इंसानी जीवन की अहम् जरूरत हैं. और अभिव्यक्ति वाकई जीवन को हल्का,सहज और सरल बना देती है.बेशक महज़ आत्मसंतुष्टि के लिए नहीं बल्कि जिंदगी के अनुभव भी ,चाहे खट्टे हो या फिर मीठे,संवेदनाओं को शब्दों में पिरोने और अभिव्यक्त करने के साथ ही हमारे सोच विचारों के झंझावातों में फंसे दिल और दिमाग को शांत कर देते हैं. "शब्द संवेदन" पर आप सभी का स्वागत है.
waah!!!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया...
हटाएं... प्रशंसनीय - बधाई
जवाब देंहटाएंआभार....
हटाएं.
जवाब देंहटाएंडॉ.वंदना सिंह जी
आपके ब्लॉग पर संभवतः पहली बार आना हुआ है…
आपकी कई लघु रचनाएं पढ़ कर प्रसन्नता हुई …
आशावादी स्वरों से परिपूर्ण प्रस्तुत यह रचना भी सराहनीय है …
हार्दिक बधाई !
शुभकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
आपकी सराहना निसंदेह प्रेरणादायी है राजेन्द्र जी आपका अभिनन्दन और बहुत बहुत धन्यवाद......
हटाएंआपकी यह लघु रचनाएं गहरे अर्थ संप्रेषित करती हैं .....!
जवाब देंहटाएंरचना का सन्देश ग्रहण करने हेतु धन्यवाद !!!!!
हटाएंशुक्रिया जो आपने सराहा...
मन में ठान ले तो स्वप्न पूरे हो ही जाते हैं ...
जवाब देंहटाएंबस संकल्प की कमी नहीं होनी चाहिए ... बहुत खूब ..
आभारी हू दिगंबर जी....
हटाएंमन की प्राण प्रतिष्ठा....जीवन में निष्ठा... शुभ संवाद.... आशीष....अन्ना दी...
जवाब देंहटाएंaameeen:)
जवाब देंहटाएंhar sapna sach hoga!!
bahut arthmayi yevam aashavaadi rachna hai.... badhai...
जवाब देंहटाएंM C Pargaien
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