उन्हें मेरा नाम भी याद आए..
उन्हें मेरा ख्याल भी तडपाए...
उनके दिलदादन* हम भी हैं..
उन्हें मेरा ख्याल भी तडपाए...
उनके दिलदादन* हम भी हैं..
उन तक कैसे ये सदा जाए....
नादाँ तोनहीं थे इतने भी...
उनकी नज़रें न समझ पाए..
कोई ढूँढेगा महफिल में उन्हें...
ये जान के भी वो नहीं आए...
जुल्मों की हद बस हो भी चुकी...
अब नज़रे इनायत की जाए...
तुम दोस्त हुए अफसाना बना...
फितरत दुनिया की नहीं जाए...
कहते थे खुद को आइना जो..
इक बार न अक्स दिखा पाए...
नादाँ तोनहीं थे इतने भी...
उनकी नज़रें न समझ पाए..
कोई ढूँढेगा महफिल में उन्हें...
ये जान के भी वो नहीं आए...
जुल्मों की हद बस हो भी चुकी...
अब नज़रे इनायत की जाए...
तुम दोस्त हुए अफसाना बना...
फितरत दुनिया की नहीं जाए...
कहते थे खुद को आइना जो..
इक बार न अक्स दिखा पाए...
...वन्दना.....
*(आशिक होना)
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