शनिवार, 29 सितंबर 2012

जला कर मुहब्बत सजा कर गया





नजर से नजर को बचा कर गया 

वो जाने  का हुनर दिखा कर गया

सब्र-ए-मुसलसल की हद कर गया 
अहले जर्फ़ ए इश्क अदा कर गया

  मेरी पलकों पे आंसू सजा कर गया   

मुहब्बत के तोहफे अता कर गया

जब भी मिला मुस्कुरा कर मिला 
जब गया तो मेरी जान लेकर गया

मंदिर की जलती लौ सा वो दिया
जला कर मुहब्बत सजा कर गया

...वन्दना...  
 

5 टिप्‍पणियां:

  1. Very Nice, You have never informed me about your blog, Today I found it myself. I like it. You are great Vnadana Bahan.

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  2. Very Nice, You have never informed me about your blog, Today I found it myself. I like it. You are great Vnadana Bahan.

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  3. वो खुद से इस जिंदगी में कुछ खता कर गया ......

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  4. आपकी लेखनी बहूत अच्छी हैं ......................दिल को छु जाती हैं

    पवन कटारिया

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आपकी प्रतिक्रिया निश्चित रूप से प्रेरणा प्रसाद :)