शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

बीते रंग …









पता नहीं कितने बरसों से ... 
कोई नहीं जानता कब से ...
मेरा ह्रदय और ,
ह्रदय की अभिलाषाएं 
मेरी कालातीत संवेदनाएं 
मेरे मस्तिष्क की सोचो के 
भ्रमजाल में फंसी रहीं 
कोई नवीनता नहीं 
वही दिन ... वही रातें 
कभी गर्म ... कभी सर्द 
यादों का सिलसिला ....
पीछे छूटा हुआ पल-पल 
समय समय पर 
आज में जुड़ना चाहता रहा 
उनकी तस्वीर बनाता रहा 
पर , 
रंग पूरे नहीं हुए कभी 
कई रंग ... अतीत में खो गए 
कुछ फीके पड़ गए 
तस्वीर आज भी अधूरी है 
कभी यादों का सिलसिला 
इस मन को मजबूर कर देता है 
समय समय पर 
पीछे छुटे हुए पलों को 
आज में जोड़ कर 
उनकी तस्वीर बनाने के लिए 
पर ...
उस तस्वीर में भरने के लिए 
रंगों की कमी ... मुझे 
कभी बहुत पीछे धकेल देती है 
तो कभी रंगों की तलाश में 
मैं ... 
समय से आगे जाने की कोशिश कर बैठती हूँ 
पर ... पीछे छूटे  हुये कुछ पल 
बहुत गहरे में छुपे हुए हैं 
जो आगे तक दुबारा भी नहीं नज़र आते 
मैं ... उन्हें पाना चाहती हूँ 
अँधेरे से उजाले में लाना चाहती हूँ 
पर कैसे… ?
रहस्य की गर्त में छुपे पल 
बीते पल !
लौट कर नहीं आते 
और फिर बेशक कितने ही 
नए पल हासिल हो जाएँ 
वो तस्वीर तो 
अधूरी ही रहेगी ...
फीकी फीकी ...
उन रंगों के अभाव में 
जो सच में रहस्य के गर्त में समा गए हैं !

12 टिप्‍पणियां:

  1. मन की अवस्थाओं के गहन विश्लेषण को बड़ी संवेदनशीलता से शब्दों में ढाला है,

    कुँवर जी,

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  2. बीते पल कभी मुट्ठी में कैद हों न हों ...भिगोते रहते हैं ....बेशक न लौटें पर पर टीस के साथ हो या फिर स्मित के साथ आजीवन जुड़े रहेंगे ...ये उदगार छू गया दिल को वंदना .. एक स्वीकारोक्ति ..जो बेहद प्रभावी है ..असीम स्नेह के साथ खूब सारा आशीष भी ...
    याद दिल रही हूँ बस ..मिटटी हो तुम ..अधूरेपन के बीज को रोप लो न अपने भीतर ...सब कुछ सोख लो .फिर देखो सृजन के नए अवसर ह्रदय के बंद कपाट खोल ..अँधेरे से उजाले लाते हुए ...शाश्वत कर देंगी वो जडें ..जोड़े भी रक्खेंगी खुद से ...रंग भरते हुए .पूरा करते हुए ...और सारे पल एक साथ घुल मिल ..अपने अंकुरण से नित नयापन लाते रहेंगे ...

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  3. बीते पल लौट कर नहीं आते !
    भावपूर्ण !

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  4. beete pal beshak laut ke nahi aate, par sahej kar rakhe to ja hi sakte hain... apne man me, apne antaratma me... :)
    aur fir jab bhi wo pal ek dam se drishya patal par dikhta hai, to man mayur naach jata hai... hai na...

    bhaon se bhari ek behtaren abhivyakti..!

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  5. आत्मीय कृतज्ञता के साथ आप सभी का धन्यवाद !

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  6. यादों के रंग समय के साथ फीके पड़ जाते हैं ...... वर्तमान के रंग में अपने को रंगिए .... बहुत संवेदनशील रचना

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  7. वो तस्वीर अधूरी ही रहेगी ..
    मंगलकामनाएं !

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  8. रंग कभी फीके नहीं पड़ते ... मन के उत्साह उम्हें फीका कर देते हैं ...
    प्राकृति के रंग ताज़ा रहते हैं ... प्रेम से उठाने की जरूरत होती है बस ...

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  9. di.. kitna sundar likha hai dil ko chhoo gya n jo pic aapne select kiya hai wo bhi kitna meaningful hai jo rang ab nahi rahe unke badale naye rang to mole par tab tak hum hum na rahe ... how touchy
    hats off to you di

    ritu

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  10. बहुत अच्छा लिखती हैं ... शुभकामनायें ...

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  11. Vandana kavita karna nahin jaanti na hi samjh hai par tumhe padhkar mujhe bada sukoon de gaya beta
    god bless bacche

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आपकी प्रतिक्रिया निश्चित रूप से प्रेरणा प्रसाद :)