मानव -संसार में सर्वत्र सर्वोच्च
उच्चतर व्यक्तित्व का अन्वेषी ,
आलोकित - 'सत्यम , शिवम , सुन्दरम ' की
गहन अनुभूतियों से...
सक्षम धरती की धुल में फूल खिलाने में....
सर्वश्रेष्ठ कृति - प्रकृति की------मानव !
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मानव - मानवीय यथार्थ के मरण
और ,
अमूर्त यथार्थ के आरोपण
की व्यथा झेलता....
नियातियों में बंधा / विवश
संभावनाओं एवं आश्वासनों को तलाशता
जीवन और मृत्यु की
उठती - गिरती साँसों पर
डगमगाती छवि - शक्ति की --------मानव !
.....वन्दना.......
"शब्द संवेदन" संवेदन शील मन से निकलने वाले शब्द जो स्वरुप ले लेते हैं कविता का, ग़ज़ल का,नज़्म का... लेखनी के सहारे,अभिव्यक्ति का आधार हमारे शब्द संवेदन इंसानी जीवन की अहम् जरूरत हैं. और अभिव्यक्ति वाकई जीवन को हल्का,सहज और सरल बना देती है.बेशक महज़ आत्मसंतुष्टि के लिए नहीं बल्कि जिंदगी के अनुभव भी ,चाहे खट्टे हो या फिर मीठे,संवेदनाओं को शब्दों में पिरोने और अभिव्यक्त करने के साथ ही हमारे सोच विचारों के झंझावातों में फंसे दिल और दिमाग को शांत कर देते हैं. "शब्द संवेदन" पर आप सभी का स्वागत है.
डॉ वंदना सिंह जी सुन्दर सोच और सार्थक प्रस्तुति उत्तम ....अमूर्त यथार्थ के आरोपण की व्यथा झेलता .......बधाई
जवाब देंहटाएंशुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण