गुरुवार, 31 मार्च 2011

मानव

मानव -संसार में सर्वत्र सर्वोच्च
उच्चतर व्यक्तित्व का अन्वेषी ,
आलोकित - 'सत्यम , शिवम , सुन्दरम ' की
गहन अनुभूतियों से...
सक्षम धरती की धुल में फूल खिलाने में....
सर्वश्रेष्ठ कृति - प्रकृति की------मानव !

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मानव - मानवीय यथार्थ के मरण
और ,
अमूर्त यथार्थ के आरोपण
की व्यथा झेलता....
नियातियों में बंधा / विवश
संभावनाओं एवं आश्वासनों को तलाशता
जीवन और मृत्यु की
उठती - गिरती साँसों पर
डगमगाती छवि - शक्ति की --------मानव !
.....वन्दना.......

1 टिप्पणी:

  1. डॉ वंदना सिंह जी सुन्दर सोच और सार्थक प्रस्तुति उत्तम ....अमूर्त यथार्थ के आरोपण की व्यथा झेलता .......बधाई
    शुक्ल भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

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