'इच्छा -शक्ति'
संभवतया
इच्छा और शक्ति के मध्य का
यह संघर्ष-
मन और मस्तिष्क का संघर्ष
बन गया है,
'इच्छा -शक्ति'
है अथवा नहीं ?
मानो दोनों ही अलग - अलग
पलडो पर हैं-
अतुलनीय...
संघर्षरत,
मात्र मेरे निर्णय को अपने-अपने
पक्ष में करने के लिए कि-
दृढ़ता किसमे ज्यादा है?
मन-
अधिकांशतः ही झुकता आया है/कमजोर पड़ता है
दबावों के आगे
परन्तु, मस्तिष्क-
कठोर हो संवेदनाए नष्ट कर देता है
इच्छाओं और आवश्यकताओं की भी
'कोई' नहीं जान पायेगा....
और मन चाहने लगता है
नहीं ! खुद को आजमाना है
मस्तिष्क आदेश देता है
और,
मेरी मजबूती फिर से बढ़ जाती है
अंतर्द्वंद / संघर्ष
भी बढ़ जाता है
और मन का मौन कही दब जाता है
शब्द मुखर हो जाते है
किन्तु ,
मोल उन शब्दों का नहीं
जो प्रभावित करने की आकांक्षा में
निकले थे
शब्दों का जाल तो प्रपंच भी हो सकता है
मोल तो स्वयं की निष्ठा...
स्वयं की आस्थाओं का है
मुझे अब खुद को तोलना होगा
और
जानना होगा
क्या मैं--
जीत पाउंगी?
या फिर मात्र
अनावश्यक प्रपंच ही रच सकती हूँ...
इच्छा और शक्ति के मध्य का
यह संघर्ष-
मन और मस्तिष्क का संघर्ष
बन गया है,
'इच्छा -शक्ति'
है अथवा नहीं ?
मानो दोनों ही अलग - अलग
पलडो पर हैं-
अतुलनीय...
संघर्षरत,
मात्र मेरे निर्णय को अपने-अपने
पक्ष में करने के लिए कि-
दृढ़ता किसमे ज्यादा है?
मन-
अधिकांशतः ही झुकता आया है/कमजोर पड़ता है
दबावों के आगे
परन्तु, मस्तिष्क-
कठोर हो संवेदनाए नष्ट कर देता है
इच्छाओं और आवश्यकताओं की भी
'कोई' नहीं जान पायेगा....
और मन चाहने लगता है
नहीं ! खुद को आजमाना है
मस्तिष्क आदेश देता है
और,
मेरी मजबूती फिर से बढ़ जाती है
अंतर्द्वंद / संघर्ष
भी बढ़ जाता है
और मन का मौन कही दब जाता है
शब्द मुखर हो जाते है
किन्तु ,
मोल उन शब्दों का नहीं
जो प्रभावित करने की आकांक्षा में
निकले थे
शब्दों का जाल तो प्रपंच भी हो सकता है
मोल तो स्वयं की निष्ठा...
स्वयं की आस्थाओं का है
मुझे अब खुद को तोलना होगा
और
जानना होगा
क्या मैं--
जीत पाउंगी?
या फिर मात्र
अनावश्यक प्रपंच ही रच सकती हूँ...
---वन्दना....
bahut hi dil ko choo lene wali rachna...kuch bhawnaaen aur unka antardwand.. bahut hi khoob vandana... God Bless!!!!
जवाब देंहटाएंmind blowing words...
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