बदगुमानी में जिया तो जी भी लिया..
शौक-ऐ-यकीं के शरारों से जला जिया...
तल्खी-ऐ-जीस्त से बिगड़ा मिजाज़े आशिकी...
अक्स-ऐ-गम-ऐ-यार ने ग़मगीन किया...
शौक-ऐ-यकीं के शरारों से जला जिया...
तल्खी-ऐ-जीस्त से बिगड़ा मिजाज़े आशिकी...
अक्स-ऐ-गम-ऐ-यार ने ग़मगीन किया...
....वन्दना....
Aks-e-gum-e-yaar ne gamgeen kiya , wah kitni gehraiyon se dhundh kar nikaale honge ye shabd aapne vandna ji
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