शनिवार, 29 सितंबर 2012

जला कर मुहब्बत सजा कर गया





नजर से नजर को बचा कर गया 

वो जाने  का हुनर दिखा कर गया

सब्र-ए-मुसलसल की हद कर गया 
अहले जर्फ़ ए इश्क अदा कर गया

  मेरी पलकों पे आंसू सजा कर गया   

मुहब्बत के तोहफे अता कर गया

जब भी मिला मुस्कुरा कर मिला 
जब गया तो मेरी जान लेकर गया

मंदिर की जलती लौ सा वो दिया
जला कर मुहब्बत सजा कर गया

...वन्दना...  
 

गुरुवार, 20 सितंबर 2012





बस साथ मेरे साया
मेरा साथ देने आया.

नाउम्मीदी-ए-विसाल
बला का मलाल लाया

भीगी हुई इस शब् में
सैलाब-ए-अश्क आया

उसकी चाहत में मैंने
रंज-ओ-गम बेहिसाब पाया

रास्ते के हर पत्थर को
मैंने अपना खुदा बनाया

जुनूं-ए-वफ़ा,तर्क-ए-मुहब्बत
हमने भी ये धोखा खाया

आंखे नम हो गयी ये तब-तब
करार दिल ने जब-जब पाया

उसका भी अब क्या कोई होगा
अपनों ने जिसे किया पराया

...वन्दना...

सोमवार, 27 अगस्त 2012

हाइकु

१.
 
अर्थमय सा
दिव्य सृजन होता
बरसात का...

२.

 कच्ची दीवार
और ये पगडंडी
लो गाँव बसा 

३.


बुधवार, 25 जुलाई 2012

 
जीवन 'हास' - 'परिहास' नहीं है

'माया' में 'भ्रमित ज्ञान' का भास नहीं है.


हो सहज , सरल और सुन्दर जीवन

'मानव' को इसका अभ्यास नहीं है


'खेल'- 'विधि' और 'विधाता' रचित

यहाँ कौन 'काल' का 'दास' नहीं है????

...वन्दना....

सोमवार, 16 जुलाई 2012



एक भरोसा है ; तो बद गुमानी भी
इस दुनिया के बहुत से
दिल, टूटते - बिखरते - चूर चूर देखकर...
न जाने क्यूँ सच लगता है-
कि, दोस्ती प्यार और रिश्ते
सिर्फ टूटकर ही ख़त्म होते हैं
दोस्ती भी जरूरत के आधार पर...
प्यार दुनिया की सहमती के
और..
और रिश्ते...?
खुदगर्जी और धोखों का
एक अच्छा सा नाम ही मात्र ...

दोस्ती प्यार और रिश्ते-
सिर्फ टूटकर ही ख़त्म नहीं होते
कभी - कभी 
यूँ ही हौले से....
अपने आप - दिलों में ही ख़त्म हो जाते हैं ,
अब डर टूटने से नहीं लगता
खुद ही ख़त्म होने से लगता है
टूटने और तोड़ने के बाद भी
ह्रदय में स्पंदन सा बाकी सा बचा रह जाता है
एक पीड़ा ह्रदय में बस जाती है
एक स्मृति ह्रदय पर छाई रहती है...
पर...
पर यूँ ही ..हौले से अपने आप ही
दिलों में ख़त्म हो जाने के बाद
शेष तो कुछ बचता ही नहीं -
मात्र स्पंदन भी नहीं
तनिक क्षोभ भी नहीं.

...वन्दना...

शुक्रवार, 29 जून 2012



इबारत दर्द की लेकर इक आस सजाये हैं
चाहत के दरीचे मे पैबंद सजाये हैं

बस जर्फ के दम पे खामोश हूँ अब तक
अहबाब तो दास्तान ए महफिल सजाये हैं 

तस्कीन हो हासिल उस तन्हा दिल को यारब
चश्म ए नम छुपा कर ये लब मुस्कुराए हैं

बड़ी शिद्दत से रातो को जाग जाग कर
उस चाँद के पहलू मे सितारे सजाये हैं

...वन्दना...

बुधवार, 6 जून 2012

तिश्नगी से जो इज्तिराब है,
जायका.ऐ.अश्क लाजवाब है!!!


इक यादे अय्यामे गुजिश्ता के मतलूब,
कमबख्त तलब से तबाह जोशे ख्वाब है...
.....वन्दना.....

शनिवार, 26 मई 2012



दंड दिधि का विधान
कभी मर्यादा महान
कभी कर्म ही प्राण
सहन शक्ति प्रमाण
आत्म व्यथा पुनर्निर्माण
संस्कार आहूत  आह्वान 
निज तन मन धन बलिदान
संस्कारों का सत्  प्रधान
....वन्दना ...

शुक्रवार, 18 मई 2012




 
 
 
तेरे ख़ुलूस में जियूं और मर जाऊं
हर हाल बहरहाल तुझे ही पाऊं

विसाले ख्वाब की जुस्तजू में
हर शब् ही आँखों के ग़म उठाऊँ

कभी यूं भी हो के खयाले आज़ादी...
कैद-ऐ-हयात से मिलेगी भूल जाऊं..
...वन्दना....

मंगलवार, 1 मई 2012




क्षण-क्षण...
हंस -हंस...
तिल -तिल...
जल कर...
जीवन वैभव.....ज्वाला...

...वन्दना...